चाँद तो हमसे दूर हैं
हम तो तेरे नूर पर फ़िदा हैं
ना जाने तू रूठा क्यूँ हैं हमसे
फिर भी सजा पाने खड़े हैं कबसे

माफ़ी मांगने से यह साबित नहीं होता की हम गलत है
और दूसरा सही,
माफ़ी का असली अर्थ है हम रिश्तो को,
निभाने की काबिलियत उससे ज्यादा रखते है।
आजकल किसी को कुछ बोलना ही नहीं चाहिए,
लोग बातों का जल्दी बुरा मान जाते हैं।