महबूब की बेवफ़ाई में अक्सर
दिल अपने प्यार से नहीं
अपने आप से रूठ जाता हैं✍
एक तेरी खातिर परेशान हूँ मैं,
टूटे दिलों की जुबाँ हूँ मैं,
तूने ठुकराया जिसको अपनाकर,
उसी दीवाने का गुमां हूँ मैं।

कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी,
कि तुझे अलविदा भी ना कह सका,
तेरी सादगी में इतना फरेब था,
कि तुझे बेवफा भी ना कह सका।
